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बच्चों को इन ऐप्स से बनाएं स्मार्ट, घर बैठ कराएं प्ले-ग्रुप की पढ़ाई
 
 
अल्‍फाबेट ऐप (Learning Letters Puppy)
गूगल प्ले स्टोर पर एंड्रॉइड यूजर्स के लिए ऐसी कई ऐप्स मौजूद हैं, जो बच्चों को गेम्स के बहाने इंग्लिश, मैथ और साइंस जैसे सब्जेक्ट का ज्ञान दे सकते हैं। इतना ही नहीं, वो जानवरों के नाम और पहचान के साथ पजल गेम्स के जरिए उन्हें बनाना भी सीख सकता है। ये ऐप्स आपके बच्चे को स्मार्ट बना देंगी। कुछ ऐसे ही ऐप्स के बारे में हम आपको बता रहे हैं।
 
गेम्स ऐप (Educational Games for Kids)
बच्चों को गेम्स के सहारे कुछ भी सिखाया जा सकता है। गेम्स ना सिर्फ उनका मन बहलाते हैं, बल्कि उनका दिमाग भी तेज करते हैं। साथ ही, गेम्स के जरिए उन्हें काफी कुछ सीखने का मौका मिल जाता है। ऐसे में Educational Games for Kids ऐप डाउनलोड करें। इस ऐप में कलर, शब्द, एनिमल, मैथ्स, लेटर्स और नंबर्स, शेप्स के साथ बहुत कुछ दिया है। यानी इस एक ऐप से आप बच्चों को गेम्स के बहाने कई चीजों का ज्ञान दे सकते हैं। 6.9MB साइज की ये ऐप आपके स्मार्टफोन में आसानी से इंस्टॉल हो जाएगी।
ये एक फनी ऐप है जिसमें ढेरों पपी कैरेक्टर, एनिमेशन, साउंड इफेक्‍ट दिए गए हैं। इसमें खेलने के चार मॉडल जिए गए हैं। इसकी मदद से आप बच्चे को ABC, 123, शेप्स और कलर्स के बारे में बता सकते हैं। इन सभी के साथ इसमें म्यूजिक भी है, जो बच्चों का मन बहलाने के काम आता है। इस ऐप का साइज 24MB है। ऐसे में इसके लिए आपके स्मार्टफोन में जगह होना जरूरी है।
 
एजुकेशनल ऐप (Toddlers Education Kit)
इस ऐप में बच्चों को सिखाने के लिए कई चीजें है। यानी इस ऐप की मदद से आप फ्रूट्स, एनिमल, म्यूजिक नोट्स, कलर्स, नंबर्स, लेटर्स, शेप्स के बारे में बता सकते हैं। किट एजुकेशनल में बच्‍चों के लिए ढेरों गेम्स भी हैं। जिससे वे फन के साथ नई चीजें सीखते हैं। इस ऐप का साइज 22MB है।
 
लर्निंग किट ऐप (Complete Kiddos' Learning Kit)
इस ऐप में बच्चों के लिए कम्पलीट लर्निंग किट दी गई है। इसकी मदद से फ्रूट्स, एनिमल, म्यूजिक नोट्स, कलर्स, नंबर्स, लेटर्स, शेप्स के बारे में बच्चा आसानी से सीख सकता है। सबसे अच्छी बात ये है कि इस ऐप से आपका बच्चा स्कूल में होने वाली प्ले-ग्रुप, नर्सरी की पढ़ाई तक सीख सकता है।
 
एनिमल ऐप (QCat - Toddler's Animal Park)
ये ऐप पूरी तरह एनिमल को ध्यान में रखकर बनाई गई है। इसमें ऐप में फनी कलर्स के साथ जानवरों की फोटोज दी गईं हैं। बच्‍चों को जानवरों की तस्वीरें आकर्षित करती हैं। ऐसे में उन्हें आपके स्मार्टफोन पर इन्हें देखकर खेलने में मजा भी आएगा। इस ऐप का साइज 11MB है।
 
प्री स्‍कूल ऐप (Preschool Learning Games Train)
प्री स्‍कूल गेम ट्रेन में ढेरों ग्राफिक दिए गए हैं, जो आपके बच्‍चों को पसंद आएंगे। इस ऐप में एजुकेशनल टूल के साथ बच्‍चों की कई बेसिक जानकारियां दी गईं हैं। यानी इस ऐप की मदद से आपका बच्चा स्मार्ट और इंटेलिजेंट हो सकता है। ऐप का साइज 21MB है।
 
पजल ऐप (Underwater Jigsaw for Toddlers)
बच्चे जब स्कूल जाना शुरू करते हैं, तो प्ले ग्रुप में अक्सर उन्हें पजल जैसे गेम खिलाए जाते हैं। ऐसे में पजल ऐप बेहद काम की ऐप हो जाती है। इसमें कई सारे फोटोज के पजल दिए हैं। ऐसे में बच्चा जब पजल से तस्वीर बनाएगा, तो उनका दिमाग तेज होगा। इस ऐप का साइज 29MB है।
 
 
वेट एजुकेशन ऐप (toddlers education kit)
गूगल प्ले स्टोर पर बच्चों की एजुकेशन देने के लिए कई गेम्स किट दी गई हैं। वेट एजुकेशन ऐप की मदद से आप बच्चों को काउंटिंग, मैथ, कलर, शेप पहचानना सिखा सकते हैं।
 
एबीसी ऐप्स (ABC Plus)
इस ऐप को बच्चों के लिए शानदार ग्राफिक्स के साथ डिजाइन किया गया है। इस ऐप की सबसे अच्छा बात ये है कि बच्चों को प्रोफेशनल तरीके से सारी चीजें सिखाती है। इसमें मैथ्स के छोटे-छोटे सवालों के साथ कई दूसरी चीजें दी गई है। जो आपके बच्चे को टीचर की तरह पढ़ाने का काम करेगी। इस ऐप का साइज 40MB है।
 
मिक्स मैच ऐप (Matching game for toddler Free)
मिक्स मैच ऐप में गेम्स के साथ कई एजुकेशनल वीडियो दिए गए हैं। इसके अलावा कलर मैच, नंबर काउंट जैसे कई दूसरे गेम्स दिए गए हैं। इस ऐप का साइज 47MB है।
 
दो साल से ऊपर के शिशुओं के लिए दोपहर की नींद हानिकारक
एक नई रिसर्च से पता चला है कि शिशु के लिए दोपहर की झपकी या नींद उसके सोने की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती है. दोपहर की झपकी या नींद से शिशु की रात की नींद के समय पर प्रभाव पड़ता है.
ऑस्ट्रेलिया की क्वींसलैंड यूनिवर्सिटी ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ता केरेन थोर्पे ने बताया कि उनकी टीम यह पता लगा रही थी कि शिशुओं की दोपहर की नींद से उनकी रात की नींद की गुणवत्ता, उनके व्यवहार और शारीरिक स्वास्थ्य पर क्या असर पड़ता है.
 
रिसर्च के बाद पाया गया कि दो साल से ऊपर के बच्चों में दोपहर की नींद का प्रभाव उनकी रात की नींद पर पड़ता है. शरीर के सही विकास, व्यवहार और पूरे स्वास्थ्य पर पड़ने वाले हानिकारक प्रभावों में दोपहर की नींद भी शामिल है.
 
यह अध्ययन जर्नल 'अर्काइव्स ऑफ डिजीज इन चाइल्डहुड' के ऑनलाइन संस्करण में प्रकाशित हुआ है.
मेहनत के 5 रु
 एक गाँव मे एक परिवार था उस परिवार मे चार सदस्य रहते थे ,जिसमे माँ, पिता ओर उनके दो पुत्र थे।उन दो पुत्रो के नाम राम और श्याम थे। राम बहुत मेहनती , परिश्रमी था अथवा वह परिवार का पेट भरने के लिए गांव से दूर नौकरी भी करता था। श्याम उतना ही उसके विपरित था। उसे परिवार और उसकी अपेक्षाओ कि ना ही चिंता थी ना ही परिवार के लिए करने की कुछ लालसा । पिताजी को यह देखकर बहुत बुरा लगता था। एक दिन पिताजी के मन मे एक ख्याल आया क्यो न श्याम को सबक सिखाया जाए। उन्होने श्याम  को एक दिन खाना खाते समय डांट कर यह कहा की अगर कल से घर मे तुम पैसे नही लाए तो रोटी नही दी जाएगी ।और उसे कहा कि रोज खाना खाने से पहले 5 रु मुझे दिए जाए तभी आपको खाना मिलेगा।ष्याम बहुत परेषान हो गया उसने बहुत सोचा कि रोज के 5 रु कहा से आएगे।फिर एक दिन तो वह अपने दोस्त से 5 रु लेकर अपने घर गया। खाना खाने से पहले श्याम के पिता ने उससे वादे के 5 रु मांगे उसने उसके दोस्त द्वारा दिए गए पैसे अपने पिता को दिए।पिता ने उसे भोजन करने की अनुमति दे दी । ओर उसके दिए हुए 5 रु कुए मे फेंक दिए। दूसरे दिन श्याम फिर उधारी कर 5रु ले आया फिर पिता ने उसके दिए हुए 5 रु कुए मे फेंक दिए।यह सिलसिला बहुत दिनो तक चलता रहा फिर श्याम  को भी उधार लेना अच्छा नही लगता था।एक दिन श्याम को कही से पैसे नही मिले ।उसने दूर देखा कि कुछ लोग बोझा उठा रहे थे उसने सोचा कि मैं भी आज कुछ मेहनत करके पैसे घर लेके जाउगा। उस दिन उसे उसकी मेहनत के 5 रु मिले और वह खुषी -खुषी घर आया । उसने वही खाने के पहले अपने 5रु अपने पिता को दिए और पिता ने फिर 5 रु कुए मे फेंक दिए। उस दिन श्याम को बहुत गुस्सा आया उसने अपने पिता से लड़ाई की ओर कहा कि आपने मेरी मेहनत के 5 रु क्यों कुए मे फेंके तब पिता ने उसे प्यार से समझाया और कहा कि अपनी मेहनत का पैसा तु बरबाद नही करना चाहता था, वही जब तू किसी से उधार लाता था तो आसानी से कुए मे फेंकने पर भी पेट भर भोजन कर लेता था।आज तुझे अपनी मेहनत का कमाया हुआ पैसा का मोल समझ मे आया।ष्याम को अपनी गलती का अहसास हुआ और वह अपने परिवार पर खर्चा करने लगा। और उसने अपने और अपने परिवार का नाम रोषन किया।
 
जीवन मे फिजूल दूसरो की कमाई पर खाने से अच्छा है अपनी मेहनत का खाया जाए।जिससे हमे अपने और अपनो के सामने कभी शर्मींदगी महसूस ना हो , और निरंतर आगे बढ़ते चले जाए।
 
 
 
एक बच्चे की कहानी
एक बच्चा था उसकी माँ उसे रोज -रोज स्कूल से आने के बाद पढ़ाई करने के लिए बोलती तो उस बालक का जवाब होता है कि माँ मैं परीक्षा के समय पढ़ूगा । अब यह सुनकर उसकी माँ अधिक चिंता में आ गयी कि यदि इसने पढ़ाई नही की तो यह परीक्षा मे पीछे रह जाएगा।
 
रोज -रोज यही सब देखने के बाद एक दिन उसने एक उपाय सोचा कि आज जैसे ही मेरा बेटा स्कूल से आएगा मैं उसे रोज की तरह पढ़ाई की याद दिलाऊँगी।
 
जैसे ही बालक स्कूल से आया , उसकी माँ ने उसे पढ़ने के लिए कहा तो उसने फिर वही जवाब दिया कि परीक्षा के समय पढ़ूगा तब उसकी माँ ने कहा -’बेटा आज मैने खीर बनाई है।
वह सुनकर बालक बहुत खुष हुआ ओर बोला जल्दी से दो माँ मुझे खीर खाना है। तब उसकी माँ ने दस कटोरी खीर उसके सामने रख दी  और कहा सब की सब खीर तुझे आज ही खाना है।तभी बेटा घबराकर बोला माँ कैसी बात कर रही हो, मेरा एक साथ इतनी खीर खाना उचित नही है।मुझे इसे पचाने मे कठिनाई होगी । तब उसकी माँ ने कहा बेटा पढ़ाई के लिये भी इसी प्रकार सोचो । तब उसे यह बात समझ आयी और वह रोज उसकी माँ के कहे अनुसार आते ही पढ़ाई करने लगा। और उसकी माँ ने  बात बताई कि बेटा परीक्षा मे अच्छे अंक लाने के लिये अभी से पढ़ना होगा ।
 
उसी प्रकार जैसे हम पूरी उम्र कमाते है ताकि वृद्ध अवस्था किसी मे किसी के आगे हाथ ना फैलाने पढ़े।